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गुप्तेश्वर पांडेय. अब बिहार के DGP नहीं रहे. ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है. यानी VRS. चर्चा है कि चुनाव लड़ेंगे. बक्सर से. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से टिकट मिलने के चर्चे भी हैं. कुछ-कुछ जगह पर भाजपा का नाम भी मिल रहा है.
22 सितम्बर को उन्होंने VRS का आवेदन दिया. बिहार सरकार ने उनका आवेदन स्वीकार कर लिया. अब उनकी जगह होम गार्ड के DGP एसके सिंघल को बिहार DGP का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.

कुछ वक्त पहले जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला चर्चा में था तब गुप्तेश्वर पांडेय कई बार टीवी पर आए. मुंबई पुलिस पर सहयोग न करने का आरोप लगाया. रिया चक्रवर्ती को लेकर औक़ात की बात की. टिप्पणीकार कहने लगे कि राजनीतिक झुकाव स्पष्ट है.
और कैसे न हो स्पष्ट? जब गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 के लोकसभा चुनाव के समय भी ठीक यही काम ही किया था.
गुप्तेश्वर पांडेय ने तब लोकसभा चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया था. लेकिन प्रशासनिक सेवा में रहते हुए चुनाव तो लड़ नहीं सकते थे, ऐसे में VRS की अर्ज़ी दे दी राज्य सरकार को. अर्ज़ी मंज़ूर हो गयी.
गुप्तेश्वर पांडेय बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. वो भी भाजपा के टिकट पर. गुप्तेश्वर पांडेय को ये शुबहा था कि बक्सर के सांसद लालमणि चौबे का टिकट भाजपा दोहराएगी नहीं.
कहते हैं कि इसी सोच के आधार पर गुप्तेश्वर पांडेय ने बढ़त बना ली. इस्तीफ़ा वग़ैरह सरिया दिया था कि इधर लालमणि चौबे बाग़ी हो गए. भाजपा ने टिकट लालमणि चौबे को ही पकड़ा दिया. गुप्तेश्वर पांडेय का इस्तीफ़ा बेकार हो गया. टिकट नहीं मिला था. गुप्तेश्वर पांडेय ने सर्विस में वापसी का रास्ता खोजा. इस्तीफ़ा देने के नौ महीने बाद बिहार सरकार से कहा कि वो अपना इस्तीफ़ा वापिस लेना चाहते हैं, और नौकरी पर वापिस आना चाहते हैं.
नीतीश कुमार की सरकार थी. उन्होंने इस्तीफ़ा वापिस कर दिया और गुप्तेश्वर पांडेय की नौकरी में वापसी हो गयी. बिहार के कई अधिकारी इसे सर्विस रूल का उल्लंघन मानते हैं. कहते हैं कि चुनाव लड़ने के लिए VRS लिया, और नहीं लड़ पाए तो चुपचाप सर्विस में वापसी भी हो गयी.
और इधर गुप्तेश्वर पांडेय ये तो मानते हैं कि उन्होंने चुनाव लड़ने और राजनीति करने के लिए 2009 में सर्विस से इस्तीफ़ा दिया था, लेकिन भाजपा से नाम जोड़ा जाना ग़लत है.
अब लोग मौज ले रहे हैं. सवाल पूछ रहे है कि फिर से वापस तो नहीं आ जायेंगे?