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सरकार ने भले ही धान की खरीद तय समय से पहले शुरू कर दी है, लेकिन हरियाणा की मंडियों में सरकारी खरीद में अभी तेजी नहीं आई है। दो-तीन दिन पहले अनाज लेकर हरियाणा की मंडियों में पहुंचे किसान धान वापस घर ले जाने की सोचने लगे हैं। वहीं, पहले तैयार होने वाले बासमती धान के खरीदार कम होने से पिछले साल 3,000 रुपये प्रति क्विंटल वाला धान 1,800-2,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है।
किसान अश्वनी कुमार अपनी दस एकड़ धान की फसल को तैयार करके पिछले चार दिन से करनाल की घरौंदा मंडी में बैठे हैं, लेकिन एक दाना भी बेच नहीं पाए। न ही कोई खरीद का मैसेज आया, न ही किसी सरकारी एजेंसी का कोई नुमाइंदा खरीद के लिए पहुंचा। हरियाणा की मंडियों में सरकारी खरीद में तेजी न आने से किसान परेशान हैं।

किसानों की समस्या इसलिए भी और बढ़ रही है, क्योंकि कृषि विभाग ने एकीकृत पोर्टल से किसानों को मैसेज भेजे हैं और उन्हें मंडियों में दो से छह क्विंटल तक धान लाने को कहा गया है। वहीं, पंजाब और हरियाणा में सबसे पहले तैयार होने वाले जिस बासमती धान को निजी व्यापारी पिछले साल तक 3,000 रुपये प्रति क्विंटल खरीद रहे थे, इस साल 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक भाव आ गया है।
एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडियों में शुमार की जाने वाली पंजाब की खन्ना मंडी में खरीदार कम होने से बासमती धान के ढेर लगे हुए हैं। किसानों की मजबूरी है कि विदेश को निर्यात होने वाले चावल की इस किस्म को कम भाव पर बेचना पड़ रहा है।

पोर्टल से आ रहे गलत मैसेज: किसानों को भेजे जा रहे मैसेज से उपजे भ्रम पर करनाल की घरौंदा मंडी के सचिव चंद्रप्रकाश कहते हैं, तकनीकी गलती है, इसके लिए अधिकारियों को बता दिया गया है।
सही समय पर सही सूचना का अभाव
करनाल के पनौड़ी गांव में रहने वाले किसान अश्वनी कुमार गुस्से में कहते हैं, सरकार ने तय कर दिया कि फलां तारीख को मंडी माल लेकर पहुंचना है। अब किसान को पता नहीं होता कि उस दिन तक वह फसल तैयार कर भी पाएगा या नहीं। अगर तैयार नहीं कर पाया तो उसका नंबर चला जाएगा। अब हम जीरी (धान) को उठाकर वापस लेकर जाएं तो उस पर जो खर्च आएगा सो अलग।
किसानों को दोबारा भेजे जाएंगे मैसेज
हरियाणा के चीफ मार्केटिंग एन्फोर्समेंट ऑफिसर राजद्वार बेनीवाल कहते हैं, किसानों के पास कम धान लाने के मैसेज आ रहे हैं, वह ब्याेरा तो किसानों ने ही पोर्टल पर भरा था, जिसे 29 सितंबर की शाम तक सही कर लिया जाएगा। जिनके पास मैसेज आ चुके हैं, उन्हें दोबारा मैसेज भेजे जाएंगे। किसान टोल फ्री नंबर 18001802060 है।
बकाया कमीशन न मिलने से आढ़तियों में गुस्सा
एक तरफ बिजनेस पर लगते ब्रेक और दूसरी ओर अपने बकाए कमीशन से परेशान पंजाब के आढ़ती राज्य सरकार से नाराज हैं। खन्ना अनाज मंडी के आढ़ती गुरजीत सिंह कहते हैं, आढ़तियों का 131 करोड़ रुपया बकाया है, जो राज्य सरकार जारी नहीं कर रही। अगर सरकार एक अक्तूबर तक आढ़त नहीं देगी तो हमें भी आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा

करनाल की घरौंदा मंडी के आढ़ती संदीप कुमार कहते हैं, नया कृषि कानून आने से हमारा कारोबार चौपट हो जाएगा। अगर किसान हमारे पास नहीं आएंगे तो हम लोगों को मजदूरी करनी पड़ेगी। बच्चों को रोटी तो खिलानी ही है। अपनी दुकान के बाहर कपास की तौल करवाते हुए सोनीपत की गोहाना मंडी में कमीशन एजेंट जय भगवान कहते हैं, मान लीजिए किसान बाहर एक लाख का माल बेचता है तो हमारा 2500 का नुकसान हो जाएगा।
आगे भी बढ़ती जाएगी समस्या
पंजाब में फतेहगढ़ साहिब के कलाल माजरा गांव के किसान अवतार सिंह कहते हैं, यह एक उदाहरण है कि जो धान 3,000 रुपये प्रति क्विंटल बिकता था, प्राइवेट वालों की मनमानी से 2,000 तक आ गया है। इसी तरह प्राइवेट कंपनियों की समस्या आगे भी बढ़ती जाएगी। खन्ना मंडी के मार्केटिंग कमेटी के चेयरमैन जगदीप सिंह रसूला बताते हैं कि मंडी में सामान्य धान की सरकारी खरीद शुरू हो गई है, जिसमें मोटा व सामान्य धान खरीदा जा रहा है लेकिन बासमती के खरीदार कम होने से भाव मंदा है।
अधिकारियों की सफाई…बासमती का अभी समय नहीं
अभी बासमती का समय ही नहीं शुरू हुआ है। सामान्य परिस्थितियों में तो 15 अक्तूबर से आना शुरू होता है। जिन्होंने अगेती फसल लगाई है, वे अपना धान लेकर आ रहे हैं, उन्हें कम भाव मिल रहा है। – डॉ. बलविंदर सिंह सिद्धू, एग्रीकल्चर कमिश्नर, पंजाब
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