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हरियाणा की बरोदा सीट का उपचुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। पक्ष और विपक्ष दोनों की अग्निपरीक्षा विधानसभा क्षेत्र की जनता लेगी। गठबंधन सरकार विकास के मुद्दे और विधायक चुनकर भेजने पर मंत्री पद देने के वादे के साथ चुनाव लड़ने जा रही है। विपक्ष ने किसानों की समस्याओं के अलावा नए कृषि कानूनों, बेरोजगारी और कर्मचारियों की छंटनी को मुद्दा बनाया हुआ है।

विपक्ष इस समय किसानों के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा। बर्खास्त पीटीआई भी सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़े हुए हैं। इनेलो को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। पार्टी किसानों के मुद्दों को लेकर मुखर है। इनेलो नेता बरोदा में चुनाव अभियान चलाए हुए हैं। बरोदा सीट पर किसानों की बहुतायत है। यहां अधिकतर लोग कृषि से जुड़े हैं।
किसान सरकार के साथ जाता है या फिर हाथ या चश्मे का साथ देता है, इस पर सबकी निगाह टिकी हुई है। कांग्रेस इस सीट को बीते कुछ चुनावों से लगातार जीतती आ रही है। यह सीट कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद ही खाली हुई है। कांग्रेस किसी सूरत में इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी।
वह इस सीट को बरकरार रख जाटलैंड में अपनी पकड़ का अहसास कराना चाहेगी, वैसे भी यह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के प्रभाव वाला क्षेत्र है। ऐसे में हुड्डा जीत के लिए पूरा जोर लगाएंगे। गठबंधन सरकार में शामिल भाजपा-जजपा वोट गणित के आधार पर खुद को मजबूत मान रही हैं। वहीं सरकार होने का भी फायदा मिलेगा।
चूंकि, जींद उपचुनाव में भी जनता ने सरकार का साथ देते हुए भाजपा उम्मीदवार को आशीर्वाद दिया था। अब देखना है कि बरोदा की जनता किस तरफ जाती है। सरकार ने विकास कार्यों में फिलहाल कोई कसर नहीं छोड़ी है।
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