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26 अप्रैल 2019. अलवर में पति के सामने ही 5 लोगों ने 19 साल की दलित महिला से 2 घंटे तक गैंगरेप किया. दरिंदगी का विडियो बना लिया. बाद में, पीड़ित परिवार ने 10 हजार रुपये नहीं दिए तो विडियो वायरल कर दिया. उस वक्त लोकसभा चुनाव थे तो ये मामला खूब गरमाया. अब अलवर कोर्ट ने 5 दोषियों में से 4 को मरते दम तक उम्रकैद की सजा सुनाई है. वीडियो वायरल करने के आरोपी को आईटी एक्ट में दोषी माना है. लेकिन इस सजा से ज्यादा चर्चा जज की एक टिप्पणी की हो रही है, जिसमें उन्होंने राम और कृष्ण के काल का जिक्र किया है.

अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण (SC-ST) कोर्ट के विशेष न्यायाधीश बृजेश कुमार शर्मा ने थानागाजी गैंगरेप मामले में अपने फैसले में लिखा,
यह कृत्य तो राम काल के सीता हरण और कृष्ण काल के द्रौपदी चीरहरण से भी गंभीर है. इसकी सजा ऐसी होनी चाहिए, जो दुष्कर्म की अमरबेल से मुक्ति दिला सके. द्वापर युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समय भी सतीत्व की रक्षा की चुनौती स्वरूप माता सीता की अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी, यह स्थिति आज भी कायम है. आज भी महिलाओं को दुष्कर्म के अपराधों में अपने आप को सही साबित करना होता है, आज भी महिला के चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं.
पीड़िता का परिवार चाहता है फांसी
अदालत ने 4 गुनहगारों को उम्रकैद और पांचवें को आईटी एक्ट में 5 साल की सजा सुनाई है. हालांकि पीड़ित परिवार का कहना है कि वह सजा से संतुष्ट नहीं है. ऐसा काम करने वालों की सजा फांसी से कम नहीं होनी चाहिए. पीड़िता के परिवार ने इसके लिए ऊपरी कोर्ट में अपील करने का फैसला लिया है.

कोर्ट की सजा से परिवार संतुष्ट नहीं है और फांसी की मांग कर रहा है.
क्या है मामला?
यह वारदात 26 अप्रैल 2019 को अलवर के थानागाजी में हुई थी. एक दलित दंपत्ति अलवर-थानागाजी रोड पर मोटरसाइकिल से जा रहे थे. सुनसान रास्ते पर आरोपियों ने पीड़ित परिवार की मोटरसाइकिल रुकवा ली. महिला को पति के सामने ही बंधक बना लिया. गैंगरेप किया. 2 मई 2019 को थानागाजी थाने में मामला दर्ज हुआ.
7 दिन बाद एफआईआर दर्ज होने पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार निशाने पर आ गई. लोकसभा चुनाव थे तो यह बड़ा मुद्दा बन गया. देशभर में इतना हंगामा हुआ कि राहुल गांधी को अलवर जाना पड़ा था.
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