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हाथरस में गैंगरेप पीड़िता का शव प्रशासन द्वारा देर रात जलाए जाने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतका व उसके परिवार के मानवाधिकार का उल्लंघन करार देते हुए जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को सुनाए आदेश में सरकार को हाथरस जैसे मामलों में शवों के अंतिम संस्कार के सिलसिले में नियम तय करने के निर्देश भी दिये।
पीड़ित परिवार ने सोमवार को पीठ के समक्ष हाजिर होकर आरोप लगाया था कि प्रशासन ने उनकी बेटी के शव का अंतिम संस्कार उनकी मर्जी के बगैर आधी रात के बाद करवा दिया। उन्हें बेटी का शव अंतिम दर्शन के लिए घर तक नहीं लाने दिया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने खुद कुबूल किया है कि शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला जिला प्रशासन का था, लिहाजा राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे। जस्टिस पंकज और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने सरकार द्वार सिर्फ पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने और जिलाधिकारी को बख्श देने पर सवाल भी खड़े किए।
अदालत ने पीड़ित परिवार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के भी निर्देश दिए। अदालत ने राज्य सरकार के अधिकारियों, राजनीतिक पार्टियों और अन्य पक्षों को इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई भी बयान देने से परहेज करने को कहा। साथ ही मीडिया से अपेक्षा की कि वे इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने और परिचर्चा करते वक्त बेहद एहतियात बरतेंगे। अदालत ने कहा कि मामले की जो भी जांच चल रही है, उसे पूरी तरह गोपनीय रखा जाए और इसकी कोई भी जानकारी लीक नहीं हो।
सीबीआई ने अपराध स्थल का किया मुआयना : हाथरस मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने मंगलवार को मृतका के परिजनों से पूछताछ की और अपराध स्थल का मुआयना किया। केंद्रीय अपराध विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञ भी साथ थे। क्राइम सीन रीक्रिएट किया गया। मृतका के परिजनों से उनके आवास पर विस्तार से बातचीत की गयी। बाद में सीबीआई टीम लड़की के भाई को अपने अस्थायी कैंप कार्यालय ले गयी और वहां उससे कई घंटे तक पूछताछ की।
सीमा पाहुजा को बनाया जांच अधिकारी : सीबीआई ने अपनी इस टीम में अधिकारियों की संख्या में वृद्धि की है। गाजियाबाद में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कमान संभाल रहे पुलिस अधीक्षक रघुराम राजन के मातहत 4 और अधिकारियों को शामिल किया गया है। एसीबी चंडीगढ़ में पुलिस उपाधीक्षक सीमा पाहुजा को मामले की जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीके शुक्ला, पुलिस उपाधीक्षक आरआर त्रिपाठी, और निरीक्षक एस श्रीमती को भी जांच दल में शामिल किया गया है।
रेप नहीं होने का दावा करने वाले अधिकारी को फटकार
मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं होने का दावा करने वाले अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार और जिलाधिकारी लक्षकार को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कुमार को बलात्कार की परिभाषा समझाते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया। पीठ ने कहा कि कोई भी अधिकारी जो मामले की जांच से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा, उसे ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, जिससे अटकलें और भ्रम पैदा हो। हाथरस कांड की मीडिया रिपोर्टिंग के ढंग पर नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में दखल दिए बगैर, हम मीडिया और राजनीतिक पार्टियों से भी गुजारिश करते हैं कि वे अपने विचारों को इस ढंग से पेश करें कि उससे माहौल खराब न हो और पीड़ित तथा आरोपी पक्ष के अधिकारों का हनन भी न हो। किसी भी पक्ष के चरित्र पर लांछन नहीं लगाना चाहिए और मुकदमे की कार्यवाही पूरी होने से पहले ही किसी को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।’
अदालत ने पीड़ित परिवार को पूर्व में प्रस्तावित मुआवजा देने का निर्देश देते हुए कहा कि अगर परिवार इसे लेने से इनकार करता है तो इसे जिलाधिकारी द्वारा किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा करा दिया जाए।
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