बैग न्यूज – सोनीपत

नवरात्र के साथ ही घरों में सांझी माता भी आई है। अब नौ दिन सांझी माता घर में मेहमान की तरह से रहेगी। उन्हें प्रतिदिन भेाग लगाया जाएगा। दसवें दिन दशहरा को वह जल में विसर्जित होगी। शिव पुराण के मुताबिक सांझी भगवान ब्राह्मा के मन से उत्पन्न हुई एक कन्या थी। जो सुंदर थी और ब्राह्मा जी ने इसे सांझी नाम दिया था। सांझी की सुंदरता की वजह से उसके पिता ब्राह्मा के अंदर भी वासना आ गई। भगवान शंकर ने ब्राह्मा जी व उसकी पुत्री सांझी को इस कृत्य के लिए श्राप दिया था।
सांझी ने इस कलंक को मिटाने के लिए भगवान शंकर की तपस्या की थी। जिससे उसका शरीर दो भागों में बंट गया था। उसे देवताओं ने जल में विसर्जित कर दिया था। इसके बाद सांझी ने अग्नि से पार्वती के रूप में जन्म लिया था और भगवान शंकर के साथ विवाह किया था। इसी वजह से नवरात्र में कुंवारी कन्याएं सुंदर वर के लिए सांझी देवी की पूजा करती हैं।
रामायण के मुताबिक भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए मिट्टी व गोबर से दुर्गा मां की प्रतिमा बनाई थी। भगवान श्रीराम ने इसे नौ दिन तक पूजा और दशहरे के दिन रावण वध के बाद माता की प्रतिमा को समुद्र में विसर्जित कर दिया। नवरात्र में सांझी की पूजा दुर्गा के रूप में भी की जाती है। खेवड़ा निवासी लक्ष्मी देवी व जाखौली निवासी पंडित कृष्ण चंद्र वशिष्ठ ने बताया कि नवरात्र से लेकर दशहरा तक सांझी को परिवार के सदस्य की तरह से रखा जाता है। सुबह- शाम उसे भोग लगाया जाता है। गंगाजल से उसे स्नान कराया जाता हैै।