बैग न्यूज़ – सोनीपत

हम तो हुड्डा नै जाणै सै। ये कहना है बरोदा हलके के गांव मुंडलाना के राममेहर का। कुछ ऐसा ही हाल भजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के प्रत्याशियों योगश्वर और इनेलो के जोगेंद्र का भी है। बरोदा का चुनाव उम्मीदवारों के नाम पर लड़ा ही नहीं जा रहा, पार्टियों के बड़े नेता खुद सामने आकर लड़ रहे हैं। ऐसा हो भी क्यों ना सभी की साख पर जो आई है। हुड्डा परिवार का गढ़ कही जाने वाली सीट पर कांग्रेस के नेता ज्यादा रुचि नहीं ले रहे, बल्कि खुद भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र ने कमान संभाल रखी है, क्योंकि उन्हें अपना गढ़ बचाए रखना है।
गठबंधन सरकार जीत कर यहां खाता तो खोलना ही चाहती है, साथ में सिद्ध भी करना चाहती है कि किसानों का समर्थन उनके पक्ष में है। वहीं, इनेलो से खुद पार्टी प्रमुख ओपी चौटाला लंबे समय बाद किसी चुनाव की कमान संभाले हुए दिख रहे हैं। बड़े चुनाव की तरह बस यात्रा पर निकले हुए हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि यहां वोट बढ़े तो पार्टी को फिर से खड़ा करने के सफर में कुछ कदम आगे बढ़ पाएंगे।
पानीपत रोड पर मुंडलाना में घर के बाहर बैठी बुजुर्ग सावित्री का कहना है कि भाई जोर लगाण में किसी ने कसर नी छोड़ी। चार साल सरकार के बचे हैं, लेकिन हुड्डा गांवों में घूमकर अपणा क्षेत्र, अपणी चौधर की बातें कर रहे हैं। कथूरा में चाय की दुकान चलाने वाले सतबीर ने बताया कि चुनाव में गली और सड़कों का मुद्दा कोई नहीं उठा रहा, जाति के आगे सभी मुद्दे घुटने टेक रहे हैं, लेकिन कुछ लोग वोट काटने के लिए भी चुनाव लड़ रहे हैं।
जातियों के वोट कितने बटेंगे, कितने नहीं, उसी से तय होगा कि बरोदा का दंगल कौन जीतेगा। कई जगह किसानों के मुद्दे की गर्मी भी दिख रही है, लेकिन वोट डालने तक यह कितनी गर्म रहेगी और कितनी ठंडी होगी, इस पर कुछ नहीं कह सकते। वहीं, लोसुपा प्रत्याशी राजकुमार सैनी गोहाना से पिछले चुनाव में दूसरे नंबर रहे थे। यह हलका गोहाना से सटा है। इनेलो व सैनी समीकरण बदल सकते हैं।
वोटों के लिए नेताओं ने याद दिलाए रिश्ते
बरोदा के चुनाव में नेताओं के भाषण कुछ अलग तरह के हैं। नेता विकास के काम गिनवाने की बजाए लोगों को अपने पुराने रिश्ते गिनवा रहे हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की झोली में यह सीट गई। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने थम म्हारे, मैं थारा का नारा देते हुए चंडीगढ़ के लिए लड़ाई का नारा दिया। वो तो यह भी कह रहे हैं कि बरोदा जितवा द्यो सरकार भी बनाऊंगा। दूसरी ओर हलके में विकास और किसानी की खुशहाली का नारा देकर भाजपा-जजपा गठबंधन मैदान में कूदा, लेकिन अंतिम दिनों में सीएम मनोहरलाल ने भी इमोशनल कार्ड खेला और कहा कि मैं भी महम चौबीसी के निंदाना में जन्मा हूं और गुहांडी हूं। आप मेरे हो मैं मान चुका, मैं थारा हूं यह तुम्हे सोचना है। बस में सवार होकर हर गांव में पहुंचे इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने स्व. देवीलाल के समय को याद दिलाते हुए पार्टी के पुराने गढ़ को फिर वापस लाकर बदलाव में भागीदारी का नारा दिया है।
खाप और चबूतरों तक पहुंचे
यह सीट ग्रामीण है, इसलिए खाप और चबूतरों का महत्व भी ज्यादा है। इसे पार्टियां भी समझ रही हैं। छिछड़ाना में खाप चबूतरा आज भी गैरराजनीतिक है। इसी तरह कथूरा, मंुडलाना और बुटाना बारहा व लाठ चौगामा की गैरराजनीतिक तस्वीर है। सीधे तौर पर खाप किसी भी दल के पक्ष में नहीं है, लेकिन पार्टियां इन्हें साथ लाने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं।
अपना प्रचार-अपनी सवारी
चुनाव में सभी नेताओं ने अपने तरीके से प्रचार किया। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने गांवों में ट्रैक्टर रैली निकाली। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने बड़ी रैली की जगह गांवों में जनसभाएं कीं। भाजपा ने हर मंत्री के जाति अनुसार छोटे-छोटे क्षेत्रों में कार्यक्रम कराए। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने प्रचार बस के माध्यम से किया और हर गांव में जाकर जनसभाएं कीं।
समीकरण जो बना और बिगाड़ सकते हैं खेल
- पिछले चुनाव में 32480 वोट लेने वाली जजपा अब गठबंधन में है। उसका समर्थक मतदाता भाजपा को जाएगा या बंटेगा यह संशय है।
- पिछले चुनाव में 3145 वोट पाने वाली इनेलो ने फिर वही उम्मीदवार उतारा। इनेलो सुप्रीमो ने प्रचार किया। वोटों का रुझान बढ़ा तो चुनावी समीकरण बिगड़ेंगे।
- लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी सुप्रीमो राजकुमार सैनी पिछले चुनाव में गोहाना में दूसरे नंबर पर थे। बरोदा में भी उतरे हैं। पिछड़ा वर्ग का जितना वोट शेयर लेंगे, उतना ही चुनाव रोचक होगा।
- किसान बाहुल्य हलका है। कृषि बिलों को विपक्ष ने भुनाया है। किसानों का मूड परिणाम तय करेगा।
- कांग्रेस पिछले तीन चुनाव की जीत के आधार पर गढ़ बचाने और सरकार ने कॉलेज, यूनिवर्सिटी और आइएमटी की घोषणा कर विकास के नाम पर जीतने पर जोर लगाया है।
- बसपा उम्मीदवार ने पिछले चुनाव में 3281 वोट लिए थे, अब कोई मैदान में नहीं है।