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साध्वियों से यौन शोषण मामले में सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक दिन की पैरोल देने के मामले में विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि तय नियमों के तहत ही पैराेल दी गई।
कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृह राज्यमंत्री सुभाष बतरा ने इस मामले की जांच की मांग की है।
यहां जारी बयान में उन्होंने कहा कि वे इस मामले में कानूनी राय लेंगे और जरूरत पड़ी तो अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे।
दरअसल डेरा मुखी को 24 अक्तूबर को सुनारिया जेल से कड़ी सुरक्षा में गुरुग्राम स्थित अस्पताल में दाखिल उनकी मां से मुलाकात कराने के लिए ले जाया गया था। बताया गया है कि जेल अधीक्षक की तरफ से इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा की मांग की गई थी, जिसके बाद जिला पुलिस ने गुरुग्राम तक डेरामुखी को सुरक्षा प्रदान की। मुलाकात के बाद उसी दिन डेरामुखी को वापस सुनारिया जेल लाया गया। डेरामुख्ाी को गुरुग्राम ले जाने के मामले की सरकार में अहम पदों पर बैठे नेताओं के अलावा किसी को भनक नहीं लगी। पूर्व गृह राज्यमंत्री सुभाष बतरा ने जेल अधिकारियों सहित सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए है। पूर्व गृहमंत्री सुभाष बतरा ने कहा कि भाजपा सरकार ने मध्यप्रदेश, बिहार व हरियाणा के उपचुनाव में लाभ लेने के लिए डेरा मुखी को पैरोल दी और पैरोल देने के लिए और भी कई खेल खेले गए हैं।
नियमों के तहत ही दी पैराेल : जेल मंत्री
जेल मंत्री रणजीत चौटाला के अनुसार आपातकालीन स्थिति में किसी भी कैदी को पैरोल दी जा सकती है और नियमों के तहत ही डेरा मुखी को पैरोल दी गई है। बाबा की पैरोल को लेकर पूरी तरह से मामला गुप्त रखा गया था और सुरक्षा में उन्हीं अधिकारियों को शामिल किया गया जो विश्वसनीय थे। उन्हें भी यह नहीं बताया गया था कि वे किसकी सुरक्षा में गुरुग्राम जाएंगे। पुलिस की करीब तीन बटालियन की सुरक्षा में डेरा मुखी को गुरुग्राम ले जाया गया।
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